दैनिक प्रार्थना

हमारे मन में सबके प्रति प्रेम, सहानुभूति, मित्रता और शांतिपूर्वक साथ रहने का भाव हो.

Friday, November 07, 2008

प्रेम और नफरत में आप किसे चुनेंगे?

मान लीजिये आप के सामने एक ऐसी परिस्थिति आ जाती है जहाँ आप को प्रेम या नफरत में एक को चुनना है. आप किसे चुनेंगे? 

10 comments:

Rachna Singh said...

nafrat ko jo chunaegae wo sab neelkanth hongey
aap kyaa chunaegae aap bhi baatae please

Unknown said...

ये तो बड़ा कठिन प्रश्न है.. और जवाब तो पहले आपको ही देना चाहिए लेकिन आप बड़ी सफाई से बच निकले है. वैसे सब तो यही कहेंगे की प्रेम को चुने पर वास्तविक जीवन में कौन क्या करता है इसका कुछ उदहारण तो आपके सामने है.
मुंबई में राज ठाकरे बिहारियों ने विरुद्ध आग उगल रहे है और हिंदूवादी उडीसा में चर्च जला रहे है.
ग्रेटर नॉएडा में एक भाई ने प्रेम कराने के अपराध में अपनी २ छोटी बहनों की गर्दन कट दी.

प्रेम को हम आदर्शवाद के रूप में चुनते है, जबकि नफरत हमारे अन्दर एक प्रवृति के रूप में होती है... अब निर्भर करता है कि आदर्शवाद पर हमारी प्रवृति हावी हो पाती है या हम उसे हराकर समाज के लिए कृति स्तम्भ बन पते है.

Unknown said...

छमा कीजिए मैं अपने चुनाव के बारे में लिखना भूल गया. मैं तो प्रेम को चुनुँगा.

नीलकंठ भगवान् शिव का एक नाम है. आपकी बात, 'नफरत को जो चुनेंगे वह सब नीलकंठ होंगे' कुछ समझ नहीं आई.

राज भाटिय़ा said...

अजी हम क्या चुनेगे हम तो पहले से ही दिल से इस दुनिया को हंसते देखना चाहते है,

seema gupta said...

"of course prem ko.."

Regards

Anonymous said...

I will sure select LOVE. Love is God.

Rachna Singh said...
This comment has been removed by the author.
Rachna Singh said...

इसको जो nafrat चुन लेते हैं वो ही नील कंठ बनते हैं यानी सबसे बडे जिनकी सब पूजा करते हैं . नफरत को कौन चुनेगा ?? सब कहेगे प्रेम को चुनेगे जबकि अगर सब नफरत को चुन ले तो केवल और केवल प्रेम ही रह जायेगा . शिव इसीलिये pujay हैं की उन्होने देवता और दानव के मंथन के विष को पिया . और अगर नफरत नहीं होगी तो प्रेम का कोई मूल्य ही नहीं होगा .

sarita argarey said...

विषय और परिस्थितियां ये तय करती हैं कि मनुष्य को क्या चुनना श्रेष्ठ होगा ।

Unknown said...

प्रेम का मूल्य नफरत के कारण नहीं है. प्रेम एक शाश्वत सत्य है. प्रेम इश्वर का एक रूप है. नफरत इंसान ने पैदा की है. प्रेम निर्माण करता है, नफरत विध्वंस करती है. अब इंसान को चुनना है ईश्वर-जनित प्रेम या इंसान-जनित नफरत.