दैनिक प्रार्थना

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Thursday, November 06, 2008

हिंसा और भारतीय समाज

हिंसा भारतीय समाज को खोखला कर रही है. यह एक गहन चिंता का विषय है. 

हिंसा तीन प्रकार की होती है - मानसिक, बैचारिक और कर्म हिंसा. यह १० + २ + ३ पाठ्यक्रम जैसी है. १० पास तो आपको हर जगह मिल जायेंगे. १० + २ पास की संख्या भी बढ़ती जा रही है. अखबार, मीडिया हिंसक बिचारों से भरे नजर आते हैं. १० + २ + ३ भी अपनी मौजूदगी तेजी से दर्ज करा रहे हैं. जरा सी बात पर लोग कर्म हिंसा पर उतर आते हैं. बर्दाश्त करना तो जैसे लोग भूल गए हैं. 

अगर इस हिंसा को रोका न गया तो समाज टूट कर बिखर जायेगा. इसे रोकने का एक ही उपाय है, परस्पर प्रेम और आदर. मेरे भाई और बहनों, ख़ुद को और समाज को हिंसा से बचाओ. प्रेम करो सबसे, नफरत न करो किसी से. 

1 comment:

राज भाटिय़ा said...

सुरेश जी आज कल सभी इस से उलट सबक सीख रहै है,ओर सिखा रहै है.
धन्यवाद एक सुंदर विचार के लिये