दैनिक प्रार्थना

हमारे मन में सबके प्रति प्रेम, सहानुभूति, मित्रता और शांतिपूर्वक साथ रहने का भाव हो.

Monday, November 24, 2008

मनुष्य की पहचान

मनुष्य अपने कर्मों से जाना जाता है, धर्म, जाति, भाषा या खान-पान से नहीं. 
यह जन्म पिछले जन्मों में किए गए कर्मों का फल है, यह फल भोगना ही होगा, इस से कोई छुटकारा नहीं है. 
ईश्वर केवल प्रेम का सम्बन्ध मानते हैं, जाति, धर्म, रंग, भाषा कुछ नहीं,
हम सब मनुष्य रूप मैं जन्में हैं, मनुष्य बन कर रहें.

5 comments:

Anil Pusadkar said...

सत्य वचन गुप्ताजी.काश आपकी बात हर कोई समझ पाता.

Ashok Pandey said...

सही बात है बड़े भाई। आभार।

गगन शर्मा, कुछ अलग सा said...

बिल्कुल सही फर्माया आपने। जितने भी इतिहास पुरुष या हस्तियां हुई हैं, उनका नाम आज भी उनके कर्मों से ही अमर है ना कि उनके जाति-धर्म से।

राज भाटिय़ा said...

आप की बात सोलाह आने सही है, लेकिन आज कोई नही मानता इसे.
धन्यवाद

seema gupta said...

मनुष्य अपने कर्मों से जाना जाता है

सत्य वचन
Regards