दैनिक प्रार्थना

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Tuesday, November 18, 2008

ऐसा राजा नरकवासी होगा

जासु राज्य प्रिय प्रजा दुखारी I
सो नृप अवसि नरक अधिकारी II

प्रजातंत्र में सर्वहितकारी समाज के लिए यह एक आदर्श-वाक्य है. जिस राजा के राज्य में प्रजा दुखी होती है वह राजा म्रत्युपरन्त नरक में वास करता है. भारत में प्रजातंत्र है पर किताबों में. तंत्र का प्रयोग राज्य द्वारा जिस तरह हो रहा है, सर्वहितकारी समाज की तो कल्पना ही नहीं की जा सकती. प्रजा दुखी है,पर राजा अपनी सत्ता की ही चिंता करता रहता है. समय-समय पर मिथ्या भाषण करके प्रजा के दुखों को नकारने का प्रयास करना ही उस का एक कर्तव्य रह गया है. 

मानस की यह पंक्तियाँ अगर सही हैं तब इस राजा का नरकवास तय है.  

4 comments:

Anonymous said...

इस हिसाब से तो शीला दीक्षित का तो रौरव नरकवासिनी होना तय है

Anonymous said...

राजा नरकवासी जब होगा तब होगा, प्रजा तो जीवित ही सशरीर नरक भोग रही है.

Anonymous said...

बाकई प्रजा का जीवन नारकीय बना दिया राजा ने. न्याय तो यही है कि ऐसा राजा नरकवासी हो.

राज भाटिय़ा said...

राजा ??? चम्चा??? अजी बाद मै गंगा मै स्नान कर के पाप धोलेगा.....लेकिन हमि तो अभी भी नरक ही दिखा रहा है.
धन्यवाद