साईं बाबा कहा करते थे कि सब का मालिक एक है. हम सब ईश्वर की संतान हैं. ईश्वर चाहता है कि हम सब एक दूसरे से प्रेम करें. आइये नफरत को अपने दिल से निकाल दें, सब से प्रेम करें और कहें, सब का मालिक एक है.
ये तो बड़ा कठिन प्रश्न है.. और जवाब तो पहले आपको ही देना चाहिए लेकिन आप बड़ी सफाई से बच निकले है. वैसे सब तो यही कहेंगे की प्रेम को चुने पर वास्तविक जीवन में कौन क्या करता है इसका कुछ उदहारण तो आपके सामने है. मुंबई में राज ठाकरे बिहारियों ने विरुद्ध आग उगल रहे है और हिंदूवादी उडीसा में चर्च जला रहे है. ग्रेटर नॉएडा में एक भाई ने प्रेम कराने के अपराध में अपनी २ छोटी बहनों की गर्दन कट दी.
प्रेम को हम आदर्शवाद के रूप में चुनते है, जबकि नफरत हमारे अन्दर एक प्रवृति के रूप में होती है... अब निर्भर करता है कि आदर्शवाद पर हमारी प्रवृति हावी हो पाती है या हम उसे हराकर समाज के लिए कृति स्तम्भ बन पते है.
इसको जो nafrat चुन लेते हैं वो ही नील कंठ बनते हैं यानी सबसे बडे जिनकी सब पूजा करते हैं . नफरत को कौन चुनेगा ?? सब कहेगे प्रेम को चुनेगे जबकि अगर सब नफरत को चुन ले तो केवल और केवल प्रेम ही रह जायेगा . शिव इसीलिये pujay हैं की उन्होने देवता और दानव के मंथन के विष को पिया . और अगर नफरत नहीं होगी तो प्रेम का कोई मूल्य ही नहीं होगा .
प्रेम का मूल्य नफरत के कारण नहीं है. प्रेम एक शाश्वत सत्य है. प्रेम इश्वर का एक रूप है. नफरत इंसान ने पैदा की है. प्रेम निर्माण करता है, नफरत विध्वंस करती है. अब इंसान को चुनना है ईश्वर-जनित प्रेम या इंसान-जनित नफरत.
10 comments:
nafrat ko jo chunaegae wo sab neelkanth hongey
aap kyaa chunaegae aap bhi baatae please
ये तो बड़ा कठिन प्रश्न है.. और जवाब तो पहले आपको ही देना चाहिए लेकिन आप बड़ी सफाई से बच निकले है. वैसे सब तो यही कहेंगे की प्रेम को चुने पर वास्तविक जीवन में कौन क्या करता है इसका कुछ उदहारण तो आपके सामने है.
मुंबई में राज ठाकरे बिहारियों ने विरुद्ध आग उगल रहे है और हिंदूवादी उडीसा में चर्च जला रहे है.
ग्रेटर नॉएडा में एक भाई ने प्रेम कराने के अपराध में अपनी २ छोटी बहनों की गर्दन कट दी.
प्रेम को हम आदर्शवाद के रूप में चुनते है, जबकि नफरत हमारे अन्दर एक प्रवृति के रूप में होती है... अब निर्भर करता है कि आदर्शवाद पर हमारी प्रवृति हावी हो पाती है या हम उसे हराकर समाज के लिए कृति स्तम्भ बन पते है.
छमा कीजिए मैं अपने चुनाव के बारे में लिखना भूल गया. मैं तो प्रेम को चुनुँगा.
नीलकंठ भगवान् शिव का एक नाम है. आपकी बात, 'नफरत को जो चुनेंगे वह सब नीलकंठ होंगे' कुछ समझ नहीं आई.
अजी हम क्या चुनेगे हम तो पहले से ही दिल से इस दुनिया को हंसते देखना चाहते है,
"of course prem ko.."
Regards
I will sure select LOVE. Love is God.
इसको जो nafrat चुन लेते हैं वो ही नील कंठ बनते हैं यानी सबसे बडे जिनकी सब पूजा करते हैं . नफरत को कौन चुनेगा ?? सब कहेगे प्रेम को चुनेगे जबकि अगर सब नफरत को चुन ले तो केवल और केवल प्रेम ही रह जायेगा . शिव इसीलिये pujay हैं की उन्होने देवता और दानव के मंथन के विष को पिया . और अगर नफरत नहीं होगी तो प्रेम का कोई मूल्य ही नहीं होगा .
विषय और परिस्थितियां ये तय करती हैं कि मनुष्य को क्या चुनना श्रेष्ठ होगा ।
प्रेम का मूल्य नफरत के कारण नहीं है. प्रेम एक शाश्वत सत्य है. प्रेम इश्वर का एक रूप है. नफरत इंसान ने पैदा की है. प्रेम निर्माण करता है, नफरत विध्वंस करती है. अब इंसान को चुनना है ईश्वर-जनित प्रेम या इंसान-जनित नफरत.
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