दैनिक प्रार्थना

हमारे मन में सबके प्रति प्रेम, सहानुभूति, मित्रता और शांतिपूर्वक साथ रहने का भाव हो.

Tuesday, October 28, 2008

ऐसा क्यों होता है?

हम मन्दिर मैं दान करते हैं,
हम गुरुओं को दक्षिणा देते हैं,
नेताओं की जेब भरते हैं,
जरूरी गैरजरूरी रिश्वत देते हैं,
सामाजिक रुतबे के लिए पैसे उड़ाते हैं,
पर एक गरीब की मदद नहीं करते.

9 comments:

गगन शर्मा, कुछ अलग सा said...

Apeksha.

Upeksha.

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

aapke vicharon par chalne ki koshish karoonga

Anil Pusadkar said...

हर किसी को ये करना चाहिये।शुभ-दीवाली।

श्रीकांत पाराशर said...

Sab apni apni samarthya ke anusar agar thoda bahut bhi abhavgraston ki madad ke liye kharch karen to bahut bada kaam ho sakta hai.kuchh log karte bhi hain.Deepavali ke deepakon ka prakash aapke jeevan men khushiyon ki roshni bharde, yahi kamna hai.

Anonymous said...

आपके विचार अच्छे हैं।

आलोक साहिल said...

BAHUT HI SUNDAR VICHAR.
ALOK SINGH "SAHIL"

Gyan Darpan said...

सही विचार

manvinder bhimber said...

आपको एवं आपके परिवार को दीपावली की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाऐं.

राज भाटिय़ा said...

बहुत खुब , जब की भगवान भी यही कहता है, पत्थर मत पुजो उस भगवान के बानयए हुये पुतले को तो इज्जत दो.
दीपावली पर आप को और आप के परिवार के लिए
हार्दिक शुभकामनाएँ!
धन्यवाद