दैनिक प्रार्थना

हमारे मन में सबके प्रति प्रेम, सहानुभूति, मित्रता और शांतिपूर्वक साथ रहने का भाव हो.

Monday, October 27, 2008

ऐसा क्यों होता है?

हम मानते कुछ हैं
कहते कुछ हैं
करते कुछ हैं. 

प्रेम भगवान् का एक रूप है,
प्रेम ही मानो,
प्रेम ही कहो,
प्रेम ही करो. 

प्रेम करो सबसे, 
नफरत न करो किसी से. 

3 comments:

श्यामल सुमन said...

प्रेम से बस एक दीप जलाना, प्रेम तो है अनमोल खजाना।
अंधियारा जब मिट जायेगा, सब गायेंगे मिलकर गाना।।

दीपावली की शुभकामनाएँ।

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
www.manoramsuman.blogspot.com

अमिताभ मीत said...

आप को और आप के समस्त परिवार को, दीपावली की मंगलकामनाएं.

Udan Tashtari said...

बढ़िया..

दीपावली पर आप के और आप के परिवार के लिए

हार्दिक शुभकामनाएँ!

समीर लाल
http://udantashtari.blogspot.com/