दैनिक प्रार्थना

हमारे मन में सबके प्रति प्रेम, सहानुभूति, मित्रता और शांतिपूर्वक साथ रहने का भाव हो.

Tuesday, October 21, 2008

क्या कभी ऐसा होगा?

वह ईद मनाते हैं,
हम होली,
हम ईद मनाएंगे,
वह होली. 

3 comments:

Vivek Gupta said...

उत्तम विचार | आगे वक्त की यही ज़रूरत होगी |

अजय कुमार झा said...

sirf chaar panktiyon mein itnee gehree baat maine pahle kabhee nahin padhi dekhi suni.

राज भाटिय़ा said...

अभी भी होता है, भारत मै तो पता नही लेकिन हमरे यहां हम सब मिल कर दिवाली ईद ओर बाकी त्योहार मनाते है.