दैनिक प्रार्थना

हमारे मन में सबके प्रति प्रेम, सहानुभूति, मित्रता और शांतिपूर्वक साथ रहने का भाव हो.

Monday, October 20, 2008

जन्नत

जो नहीं जानते,
उस के लिए खो रहे हैं,
जो मिला हैं.
एक कहावत है,
हाथ की एक चिड़िया बेहतर है,
दो चिड़ियों से जो पेड़ पर बैठी हैं. 

4 comments:

गोविंद गोयल, श्रीगंगानगर said...

aadhi ko chhod jo puri ko dyawe ,
aadhi rahe na puri pawe.

Vivek Gupta said...

सही चित्रण

दीपक कुमार भानरे said...

श्रीमान जी . बहुत अच्छी अभिव्यक्ति .

राज भाटिय़ा said...

सुरेश जी बहुत ही सुन्दर बात कही आप ने, जो पास नही उस के लिये जीवन खराब कर रहै है, ओर जो पास है उस की कोई..... अजी जन्नत यही है, बस हम अंधे है जो देख नही पा रहै
धन्यवाद