अल्पसंख्यकवाद कहूं या कहूं आतंकवाद की पैरवी. अब तो दोनों एक दूसरे में ऐसे घुल-मिल गए हैं जैसे दूध में शक्कर घुल-मिल जाती है. एक के बाद एक आतंकवाद के पैरोकार खड़े हो रहे हैं और सरकार पर दबाब डाल रहे हैं कि देश में हुए बम धमाकों की जांच को ठंडे बस्ते में डाल दिया जाय. पहले मुस्लिम बुद्धिजीवियों ने आवाज उठाई - हमें पुलिस और पुलिस की जांच पर शक है इस लिए इन की जांच की जांच कराओ. फ़िर सरकार की वैशाखी पार्टियों ने यही आवाज उठाई. फ़िर जामिया नगर की यात्रा की उन्होंने जो कहते हैं कि हमने सरकार को गिरने से बचाया, और यही आवाज उठा दी. आने वाले चुनाव से घबराई सरकार के कुछ मंत्री भी जामिया नगर पहुँच गए और इस आवाज में आवाज मिलाने लगे. सरकार ने कुछ पुख्ता सबूत उन्हें दिखाए और वह संतुष्ट नजर आए. पर इस से घबरा गए अल्पसंख्यकवादी. कांग्रेस की अल्पसंख्यकवादी शाखा ने अब आवाज बुलंद की. उन्होंने कहा कि वह सोनिया से मिलेंगे, फ़िर उस के बाद मनमोहन से मिलेंगे, और उन्हें बताएँगे कि अल्पसंख्यकवाद की जन्मदाता कांग्रेस अब अपने धर्म को नहीं छोड़ सकती. अल्प्संख्यखों के वोट बिना यह मांग माने नहीं मिलने वाले. अब सरकार भी इस आवाज में आवाज मिलाने की तैयारी कर रही है.
जल्दी ही हो सकता है कि पुलिस के आतंकवाद की जांच होने लगे और आतंकवादियों के आतंकवाद की जांच फाइलों में बंद हो जाए. वाह रे अल्पसंख्यकवाद और अल्पसंख्यकवाद के साए में पनपता आतंकवाद!
4 comments:
bilkul sahi kah rahe hain, phir sabhi hinduon ki jaanch karaane ki maang uthegi.
अपराधी कोई भी हो अल्पसंख्यक के हितों नाम पर उनके ख़िलाफ़ करवाई न कर अपराध को बढ़ावा देने और देश को असुरक्षित करने का काम किया जा रहा है . जो अत्यन्त दुर्भाग्य पूर्ण है और इसका खामियाना इन लोगों को बेनजीर भुट्टों की तरह आज नही ताओ कल भुगतना ही पड़ेगा .
नए पाकिस्तान की तैयारी हो रही है.
सुरेश जी फ़िर भारतीया पुलिस का कया काम ,जब उन्हे हर बात का सबुत देना पडे, इस से अच्छा तो इस आतंकवादियों को ही पुलिस बना दो, सोनिया के बाप का तो नही यह देश ना ही उस के चम्मचो का है, अब की बर इन्हे दिखा दो इन कि ऒकात, ओर बना ले अल्पसंख्यको से अपनी सरकार , भाईयो जो जो इन आतंकवादियो से तंग है मत दे इस सरकार को वोट, ओर अपनी वोट का प्रयोग जरुर करो
सुरेश जी हमेशा की तरह से एक सुन्दर विचार
धन्यवाद
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