दैनिक प्रार्थना

हमारे मन में सबके प्रति प्रेम, सहानुभूति, मित्रता और शांतिपूर्वक साथ रहने का भाव हो.

Tuesday, June 10, 2008

अनंत की महिमा

वह अनंत है,
यह अनंत है,
अनंत अनंत से आता है,
अनंत से अनंत निकालो तब भी अनंत ही बचता है,
ॐ शांति, शांति, शांति.


That is perfect;
This is perfect;
Perfect comes from perfect;
Take perfect from perfect, the remainder is perfect.
Peace. Peace. Peace.

— Brihadaaranyaka Upanishad

Friday, June 06, 2008

ज्ञान के दीप जले

स्वामी रामसुखदास जी की यह पुस्तक गीता प्रेस गोरखपुर से प्रकाशित हुई है. आपके जीवन में प्रकाश हो उस लिए कुछ दीप प्रज्ज्वलित करता हूँ इस पुस्तक से.

"जो अपना नहीं है, उस को अपना मानने से विश्वासघात होगा, धोखा होगा"

"दूसरे के दुःख से दुखी होने पर हमारा दुःख मिट जाता है. दूसरे के सुख से सुखी होने पर हम सुखी हो जाते हैं. काम ख़ुद करो, आराम दूसरों को दो"

"उसका अनुभव करें या न करें, वह तो बैसा ही है; पर अनुभव करने से हम हलचल (आवागमन) से रहित हो जाते हैं. उस का अनुभव करने में ही मनुष्य-जीवन की सफलता है"

"स्त्री परपुरुष का और पुरूष परस्त्री का सपर्ष न करे तो उनके तेज, शक्ति की वृद्धि होगी"

"जैसे आप अपना दुःख दूर करने के लिए पैसे खर्च करते हैं, ऐसे ही दूसरे का दुःख दूर करने के लिए भी खर्च करें, तभी आपको पैसे रखने का हक़ है"

"अपने को ऊंचा बनाने का भाव राक्षसी, आसुरी भाव है. दूसरों को ऊंचा बनाने का भाव दैवी भाव हे"

"सच्ची बात को स्वीकार करना मनुष्य का धर्म है"

"पहले भलाई करने से भलाई होती थी, आज बुराई न करने पर भलाई हो जाती है"

"कोई बस्तु न मिले तो उस की इच्छा का त्याग कर दें, और मिल जाए तो उसे दूसरों की सेवा में लगा दें"

"आप छोटों पर दया नहीं करते तो आपको बड़ों से दया माँगने का कोई अधिकार नहीं है"

"जो सेवा करते नहीं प्रत्युत सेवा लेते हैं, उन के लिए ज़माना ख़राब आया है. सेवा करने वाले के लिए तो बहुत बढ़िया ज़माना आया है"

"यदि आप अपना कल्याण चाहते हैं तो सच्चे ह्रदय से भगवान् के शरण हो जाएं"

:भगवान् की कृपा मैं कभी कमी नहीं होती, कमी कृपा न मानने मैं होती है"

"यदि मनुष्य अपने कर्तव्य का पालन करे और पदार्थों की कामना न करे तो उस का कल्याण हो जायेगा"

"मेरे को सुख कैसे हो यह पतन की बात है, और दूसरे को सुख कैसे हो यह उत्थान की बात है. सब अपना ही सुख चाहेंगे तो एक को भी सुख नहीं मिलेगा, आपस में लड़ाई हो जायेगी"

"ज्यादा बस्तुएँ होने से ज्यादा सुख होगा, यह बहम की बात है. उल्टे दुःख ज्यादा होगा"

"देने वाले सभी सज्जन होते हैं, लेने वाले सभी सज्जन नहीं होते"

Sunday, June 01, 2008

धर्म के पीछे डंडा लेकर पड़े रहते हैं कुछ लोग

कुछ लोगों के विचार में समाज में हर ग़लत बात के लिए धर्म जिम्मेदार है. कोई भी घटना घटे वह धर्म को बीच में घसीट लाते हैं और धर्म को और जो धर्म को मानते हैं, उन्हें गालियाँ देना शुरू कर देते हैं. मुझे लगता है कि ऐसे लोग जब तक एक दो बार धर्म को गाली न दे लें उनका दिन ठीक से नहीं गुजरता. ऐसे लोग दया के पात्र हैं. वह कुछ अच्छा करना चाहते हैं पर धर्म के चक्कर में कर नहीं पाते. वह कहते हैं हम धर्म को नहीं मानते, पर हर समय धर्म की रट लगाए रहते हैं - धर्म ने सारे समाज को दूषित कर दिया है, समाज में जितना अन्याय हो रहा है उसके लिए धर्म ही जिम्मेदार है, समाज में जितनी कुरीतियाँ हैं वह सब धर्म की देन हैं, इत्यादि. इतना बड़ा अपराधी है धर्म, पर उसे दंड कैसे दें? धर्म कोई व्यक्ति तो है नहीं जिसे अदालत में हाजिर करके सजा दिलाएं और फांसी पर लटका दें. धर्म तो एक सोच है. एक तरीका हो सकता है कि ऐसा कानून बनाया जाए कि धर्म का सोच रखने वाले व्यक्तिओं को फांसी पर लटका दिया जाए. पर यह कानून सिर्फ़ हिन्दुओं के लिए ही बन सकता है. किसी और धर्म के बारे में ऐसा सोचने वाले ख़ुद ही फांसी पर लटका दिए जायेंगे.

आपने बहुत कम देखा होगा किसी को चिल्लाते हुए कि मैं धर्म में विश्वास करता हूँ. लोग मन्दिर में जाते हैं. तीर्थ स्थानों की यात्रा करते हैं. प्रवचन सुनते हैं. कीर्तन करते हैं. पर कोई यह नहीं कहता फिरता की वह धर्म में विश्वास करता हैं. पर धर्म में विश्वास न करने वालों को जब तक चैन नहीं मिलता जब तक वह यह बात सब को बता न दें, और यह साबित करने की कोशिश न कर लें कि धर्म ग़लत है और समाज की सारी समस्याओं के लिए जिम्मेदार है. यह कैसी मानसिकता है? अरे भाई आप धर्म में विश्वास नहीं करते, ठीक है मत करिये. कौन आप से जबरदस्ती कर रहा है? आप की मर्जी है, धर्म को मानो या न मानो. आप मानते हैं तो किसी को फायदा नहीं. आप नहीं मानते तो किसी को नुकसान नहीं. धर्म को मानना या न मानना एक व्यक्तिगत बात है.

आज हिंदू धर्म की किसी मान्यता का हवाला दे कर कोई भी किसी दूसरे को मजबूर नहीं कर सकता (इस्लाम और दूसरे धर्मों की बात में नहीं करता). बल्कि हिंदू धर्म की किसी भी मान्यता का लोग खुलेआम मजाक उड़ा सकते हैं. किसी भी हिंदू देवी-देवता की नंगी तस्वीर बना सकते हैं. अगर कोई शिकायत करता है तो मीडिया और कानून गाली देने वालों का ही समर्थन करता है. इस के बाद भी लोगों का मन नहीं भरता. जब मौका लगता है हिंदू धर्म को गाली देने से बाज नहीं आते.

मुझे ऐसे लोगों पर दया आती है. अरे भाई अपनी जुबान गन्दी कर के आप हिंदू धर्म का क्या नुकसान कर लेंगे. यह तो ऐसा धर्म हे कि एक हिंदू अगर हिंदू धर्म को गाली भी देगा तब भी हिंदू ही रहेगा. इस धर्म में तो आस्तिक भी हिंदू है और नास्तिक भी. आप क्या खाते हैं, क्या पहनते हैं, कैसे रहते हैं, आपकी मर्जी है. आप को हिंदू होने का सर्टिफिकेट नहीं लेना किसी से. कोई आप को हिंदू धर्म से निकाल नहीं सकता. हिंदू धर्म को गाली देने से बेहतर होगा उसे समझना. धर्म के पीछे डंडा लेकर मत दौड़िये. उस से धर्म का कुछ नहीं बिगड़ना. दौड़ते-दौड़ते गिर पड़े तो ख़ुद ही चोट खा जाओगे.

Thursday, May 29, 2008

एक और आतंकवादी हमला, इस बार जति के नाम पर

कितनी जल्दी भूल गए सब कि कुछ दिन पहले जयपुर में किया था आतंकवादियों ने हमला धर्म के नाम पर. अब अखबार भरे हैं दूसरे हमले की ख़बरों से जो गुर्जरों ने किया है जाति के नाम पर. दोनों में सरकारी और निजी संपत्ति नष्ट हुई है. दोनों में इंसान मरे हैं. इंसानियत मरी है. क्या फर्क है दोनों हमलों में?

पहले हमले में लाशों की सम्मान के साथ अन्तिम क्रिया हुई थी. इस हमले की लाशें सड़ रही हैं. यह कौन लोग थे जो मर गए? क्यों इन के मरने पर किसी की आँख से एक आंसू नहीं गिरा? क्यों मीडिया इन के परिवारवालों से इंटरव्यू करने नहीं गया? क्यों इन की विलखती माँ और बहन की तस्वीर मीडिया ने नहीं छापी? क्यों इन के शवों का अपमान किया जा रहा है? एक आंदोलनकारी ने कहा कि अगर एक लाख गुर्जर मर जायेंगे तो भी हमें कोई फर्क नहीं पड़ेगा. दूसरे ने कहा इन शवों का पोस्टमार्टम रेल की पटरी पर करो. यह कैसे इंसान हैं?

कुछ लोग धर्म पर लोगों को भड़काते हैं, कुछ लोग जाति पर. मतलब दोनों का एक ही है. दूसरों को मरबा कर अपना उल्लू सीधा करना. दिल्ली में वकील इस हिंसा के समर्थन में हड़ताल पर चले गए. आज सारी दिल्ली को घेरा हुआ है. दिल्ली वालों को फल, दब्जी, दूध नहीं पहुँचने देंगे. भिवाडी में सारे कारखाने बंद करा देंगे. रेल की पटरियाँ और उपकरण नष्ट कर देंगे. सड़क पर यातायात रोक कर देश को करोड़ों का नुकसान करबा देंगे. यह सब कहने वाले कौन हैं? कोई देशभक्त तो ऐसा नहीं कह और कर सकता. यह भी एक तरह का आतंकवाद है. एक धर्म का नाम लेकर है तो यह जाति का नाम ले कर.

Monday, May 19, 2008

भारतीय धर्म-निरपेक्षता को नकारात्मक बना दिया है कुछ लोगों ने

कल के अखबार में एक लेख छपा था भारतीय धर्म-निरपेक्षता के ऊपर। लेखक हैं एम् जे अकबर। वह कहते हैं:
"...... there is not a single instance of any Hindu writer having vilified the Prophet of Islam. Similarly, there is, to my knowledge, not a single Muslim writer who was abusive towards Lord Ram or Hanuman. Indian secularism is quintessentially different from that of the west. It is not the separation of state and religion, but space for the other: coexistence on the basis of mutual respect. I do not have to believe in Hanuman to respect my Hindu brother's right to believe in Ramayana; the Hindu does not need to believe in Allah to respect my belief in the miracle of Holy Koran...."

कितना अच्छा होता अगर यह पूर्ण वास्तविकता होती। कुछ तथाकतित बौद्धिक लेखक और आर्टिस्ट हर हिंदू विचार को ग़लत साबित करने में लगे रहते हें। घटिया राजनीतिबाजों और मजहब के सौदागरों ने भारतीय धर्म-निरपेक्षता को नफरत और मार-काट में बदल दिया है। वोट की ओछी राजनीति लोगों को धर्म के नाम पर बाँट रही है. इस नफरत के साए में बाहर से आए कुछ आतंकवादी आसानी से यहाँ पनाह पा जाते हैं और स्थानीय मदद से आसानी से जयपुर जैसे नर-संहार को अंजाम दे देते हैं.


हिन्दू होकर हिन्दुओं और हिन्दू धर्म को गाली देना प्रगतिशीलता की निशानी बन गया है। सरकार से लेकर एक आम आदमी तक सब स्वयं को प्रगतिशील साबित करने में लगे हुए हें। मैंने एक ब्लाग में पढ़ा कि हिन्दू ही हिन्दू धर्म का दुश्मन है। और एक ब्लाग में एक हिन्दू की लिखी ग़ज़ल पढ़ी। इन सज्जन ने राम भक्तों की खुलकर भर्त्सना की है। इस ग़ज़ल के लिए इन्हे ईनाम भी दिया गया है। सच पूछिये तो किसी गैर हिन्दू को हिन्दू धर्म के बारे में कुछ ग़लत कहने की जरूरत ही नहीं है। यह सारा काम तो कुछ हिन्दू ही कर देते हें।

भारतीय धर्म-निरपेक्षता को नकारात्मक बना दिया है कुछ लोगों ने।

Wednesday, May 14, 2008

फ़िर मचाया कत्लेआम हत्यारों ने

कल हत्यारों ने फ़िर कत्लेआम मचाया. इस बार जयपुर के निरीह निवासी उनका निशाना बने. कौन हैं यह हत्यारे और इस तरह निर्दोष इंसानों का खून बहा कर क्या हासिल करना चाहते हैं? यह हत्यारे खुदा के बन्दे तो हो नहीं सकते. कोई खुदा इतना बेरहम नहीं हो सकता जो अपने बंदों की इस बात से खुश होता हो कि वह उसके दूसरे बंदों का खून कर देते हैं. कोई शैतान ही ऐसा हो सकता है और अपने अनुयाइयों से यह उम्मीद कर सकता है.

खुदा तो प्यार का भूखा है. वह सब का मालिक है. हम सब उस के बच्चे हैं. कोई भी पिता यह नहीं चाहेगा कि उस के बच्चे आपस में मार काट करें और वह भी उसके नाम पर. पिता तो यही चाहेगा कि उस के बच्चे आपस में मिल जुल कर प्रेम से रहें. यह लोग जो मजहब और खुदा के नाम पर खुदा के बंदों का खून बहते हैं, क़यामत के दिन खुदा को क्या जवाब देंगे? यह लोग सोचते हैं कि खुदा उनसे खुश होगा और उन्हें जन्नत अता फरमायेगा. कितना ग़लत सोचते हैं यह लोग? मुझे पूरा यकीन है कि इनका खुदा इन्हें बहुत भयंकर सजा देगा और यह लोग अनंत काल तक जहन्नुम की आग में जलेंगे.

अफ़सोस की बात यह है की केन्द्र और प्रदेशों की सरकारें नागरिकों की जान-माल की कोई रक्षा नहीं कर पा रही हैं. अक्सर आतंकवादियों के हमले होते है, जान-माल का नुकसान होता है, और सरकार केवल इन घटनाओं की निंदा करके और नागरिकों से शान्ति बनाये रखने की अपील करके अपने कर्तव्य की इतिश्री कर लेती है. सुरक्षा सेनाएं केवल निर्दोष नागरिकों पर ही अपना जोर चला पाती हैं. जब सुरक्षा कर्मी अपनी जान की बाजी लगा लगा कर इन कातिलों को पकड़ लेते हैं तो सरकार इन हत्यारों को कोई सजा नहीं दे पाती. पार्लियामेन्ट हमले में इन राजनीतिबाजों को बचाने में कितने सुरक्षा कर्मी मारे गए, पर इन एह्सानफरामोशों ने उनके कातिलों को सरकारी दामाद बना लिया. आज तक एक भी आतंकवादी को उस के अपराधों की सजा नहीं दे पाई यह सरकार.

क्या फायदा है ऐसी सरकार का? क्या फायदा है ऐसी सुरक्षा एजेंसिओं का? अगर नागरिक सरकार पर भरोसा न करें और अपनी सुरक्षा ख़ुद करें तो शायद इतना जान-माल का नुकसान न हो.

Monday, April 14, 2008

रघुकुल रीति सदा चली आई,
प्राण जाए पर वचन न जाई ।

'Raghukula Reet sada chalee aayee, Praan Jaaye par vachan na jaayee'

Above chaupai is from Tulsi Ramayan, and is associated with Raghukul, the family of Shri Ram. This means
that the code of the Raghukula (Sri Ram's family), had always been that its members would rather die than to go back upon their word. Shri Ram's father, King Dashratha, gave his life to honour the promise he gave to Kakeyi, his second wife.

Hindus today are celebrating the birth of Shri Rama, who is the seventh incarnation of Lord Vishnu. Hindus believe that whenever righteousness is in danger, God reincarnates to protect and reinstate righteousness in the society. He destroys the evil doers and protects the seekers.
Shri Ram is considered a 'Maryaada Purshottam' which means that He is believed to be the Ideal Man.

In order to be a completely full Spiritual Human being, we must keep good company, sing the Lord's praises, listen to the the Almighty's 'katha' ( Scriptural narrations), and have total faith in God. We must remove from our heart and mind, ego, doubt, and desire of unnecessary things.

The day is called Ramnavmi. I wish you all a Happy Ramnavmi in your heart. This year let us imbibe the virtue of 'Keeping our promises' from Him.

Sunday, March 16, 2008

Shanti Paath - Peace Prayer

Aum Dyauh Shantir Antarikshagum Shanti
Prithivi Shanti -raapah Saantihr-oshadhaya Shaantir
Vanaspatayah Shantir Vishwe - devah Shantih Brahma
Shantih Sarvagum Shantih Shantih - Reva
Shantihi
Sama Shanti-Redhi, Om Shantih Shantih Shantih

May there be peace in Heaven
Peace in the Atmosphere or Universe
May there be peace on Earth
Peace across the waters
May peace flow from herbs, plants and trees
May all the celestial beings pervade peace
May peace pervade all quarters
May that peace come to me too

O Lord! (Bhagwan) MAY THERE BE PEACE PEACE PEACE


Friday, March 14, 2008

Understanding the Maha Mrityunjaya Mantra

It is very important to understand the meaning of the words as this makes the repetition meaningful and brings forth the results.

OM is not spelt out in the Rig-Veda, but has to be added to the beginning of all Mantras as given in an earlier Mantra of the Rig-Veda addressed to Ganapati.

मंत्र लाभ -
महामृतुन्ज्य मंत्र जीवन प्रदान करता है (अकाल मृत्यु, दुर्घटना इत्यादि). यह मंत्र सर्प एवम विच्छू के काटने पर भी अपना पूरा प्रभाव रखता है. इस मंत्र का महत्वपूर्ण लाभ है कठिन एवम असाध्य रोगों पर विजय प्राप्त करना. यह मन्त्र हर बीमारी को भगाने का बड़ा शस्त्र है.

भावार्थ -
हम भगवान शंकर की पूजा करते हैं, जिनके तीन नेत्र हैं, जो प्रत्येक श्वांस मैं जीवन शक्ति भर रहे है उनसे हमारी प्रार्थना है की वे हमें मृत्यु के बंधनों से मुक्त कर दें, जिससे मोक्ष की प्राप्ति हो जाए. जिस प्रकार एक ककड़ी बेल मैं पक जाने के बाद उस बेल रुपी संसार के बन्धन से मुक्त हो जाती है, उसी प्रकार हम भी इस संसार रुपी बेल मैं पक जाने के बाद जन्म-मृत्यु के बंधनों से सदैव के लिए मुक्त हो जायें और आपके चरणों की अमृत-धारा का पान करते हुए शरीर को त्याग कर आप मैं मीन हो जायें.

TRYAMBAKKAM refers to the Three eyes of Lord Shiva. 'Trya' means 'Three' and 'Ambakam' means eyes. These three eyes or sources of enlightenment are the Trimurti or three primary deities, namely Brahma, Vishnu and Shiva and the three 'AMBA' (also meaning Mother or Shakti' are Saraswati, Lakshmi and Gouri. Thus in this word, we are referring to God as Omniscient (Brahma), Omnipresent (Vishnu) and Omnipotent (Shiva). This is the wisdom of Brihaspati and is referred to as Sri Duttatreya having three heads of Brahma, Vishnu and Shiva.

YAJAMAHE means, "We sing Thy praise".

SUGANDHIM refers to His fragrance (of knowledge, presence and strength i.e. three aspects) as being the best and always spreading around. Fragrance refers to the joy that we get on knowing, seeing or feeling His virtuous deeds.

PUSTIVARDHANAM Pooshan refers to Him as the sustainer of this world and in this manner, He is the Father (Pater) of all. Pooshan is also the inner impeller of all knowledge and is thus Savitur or the Sun and also symbolizes Brahma the Omniscient Creator. In this manner He is also the Father (Genitor) of all.

URVAAROKAMEVA 'URVA' means "VISHAL" or big and powerful or deadly. 'AAROOKAM' means 'Disease'. Thus URVAROOKA means deadly and overpowering diseases. (The CUCUMBER interpretation given in various places is also correct for the word URVAROOKAM). The diseases are also of three kinds caused by the influence (in the negative) of the three Guna's and are ignorance (Avidya etc), falsehood (Asat etc as even though Vishnu is everywhere, we fail to perceive Him and are guided by our sight and other senses) and weaknesses (Shadripu etc. a constraint of this physical body and Shiva is all powerful).

BANDANAAN means bound down. Thus read with URVAROOKAMEVA, it means 'I am bound down by deadly and overpowering diseases'.

MRITYORMOOKSHEYA means to deliver us from death (both premature death in this Physical world and from the neverending cycle of deaths due to re-birth) for the sake of Mokshya (Nirvana or final emancipation from re-birth).

MAAMRITAAT means 'please give me some Amritam (life rejuvinating nectar). Read with the previous word, it means that we are praying for some 'Amrit' to get out of the death inflicting diseases as well as the cycle of re-birth.

Maha Mrityunjaya Mantra



Thursday, March 13, 2008

आओ कहें कहानी शबरी की

शबरी की कहानी रामायण के अरण्य काण्ड मैं आती है. वह भीलराज की अकेली पुत्री थी. जाति प्रथा के आधार पर वह एक निम्न जाति मैं पैदा हुई थी. विवाह मैं उनके होने वाले पति ने अनेक जानवरों को मारने के लिए मंगवाया. इससे दुखी होकर उन्होंने विवाह से इनकार कर दिया. फिर वह अपने पिता का घर त्यागकर जंगल मैं चली गई और वहाँ ऋषि मतंग के आश्रम मैं शरण ली. ऋषि मतंग ने उन्हें अपनी शिष्या स्वीकार कर लिया. इसका भारी विरोध हुआ. दूसरे ऋषि इस बात के लिए तैयार नहीं थे कि किसी निम्न जाति की स्त्री को कोई ऋषि अपनी शिष्या बनाये. ऋषि मतंग ने इस विरोध की परवाह नहीं की. ऋषि समाज ने उनका वहिष्कार कर दिया और ऋषि मतंग ने उसे सहर्ष स्वीकार कर लिया.

ऋषि मतंग जब परम धाम को जाने लगे तब उन्होंने शबरी को उपदेश किया कि वह परमात्मा मैं अपना ध्यान और विश्वास बनाये रखें. उन्होंने कहा कि परमात्मा सबसे प्रेम करते हैं. उनके लिए कोई इंसान उच्च या निम्न जाति का नहीं है. उनके लिए सब समान हैं. फिर उन्होंने शबरी को बताया कि एक दिन प्रभु राम उनके द्वार पर आयेंगे.

ऋषि मतंग के स्वर्गवास के बाद शबरी ईश्वर भजन मैं लगी रही और प्रभु राम के आने की प्रतीक्षा करती रहीं. लोग उन्हें भला बुरा कहते, उनकी हँसी उड़ाते पर वह परवाह नहीं करती. उनकी आंखें बस प्रभु राम का ही रास्ता देखती रहतीं. और एक दिन प्रभु राम उनके दरवाजे पर आ गए.

शबरी धन्य हो गयीं. उनका ध्यान और विश्वास उनके इष्टदेव को उनके द्वार तक खींच लाया. भगवान् भक्त के वश मैं हैं यह उन्होंने साबित कर दिखाया. उन्होंने प्रभु राम को अपने झूठे फल खिलाये और दयामय प्रभु ने उन्हें स्वाद लेकर खाया. फ़िर वह प्रभु के आदेशानुसार प्रभुधाम को चली गयीं.

शबरी की कहानी से क्या शिक्षा मिलती है? आइये इस पर विचार करें. कोई जन्म से ऊंचा या नीचा नहीं होता. व्यक्ति के कर्म उसे ऊंचा या नीचा बनाते हैं. ब्राहमण परिवार मैं जन्मे ऋषि ईश्वर का दर्शन तक न कर सके पर निम्न जाति मैं जन्मीं शबरी के घर ईश्वर ख़ुद चलकर आए और झूठे फल खाए. हम किस परिवार मैं जन्म लेंगे इस पर हमारा कोई अधिकार नहीं हैं पर हम क्या कर्म करें इस पर हमारा पूरा अधिकार है. जिस काम पर हमारा कोई अधिकार ही नहीं हैं वह हमारी जाति का कारण कैसे हो सकता है. व्यक्ति की जाति उसके कर्म से ही तय होती है, ऐसा भगवान् ख़ुद कहते हैं.

कहे रघुपति सुन भामिनी बाता,
मानहु एक भगति कर नाता.

प्रभु राम ने शबरी को भामिनी कह कर संबोधित किया. भामिनी शब्द एक अत्यन्त आदरणीय नारी के लिए प्रयोग किया जाता है. प्रभु राम ने कहा की हे भामिनी सुनो मैं केवल प्रेम के रिश्ते को मानता हूँ. तुम कौन हो, तुम किस परिवार मैं पैदा हुईं, तुम्हारी जाति क्या है, यह सब मेरे लिए कोई मायने नहीं रखता. तुम्हारा मेरे प्रति प्रेम ही मुझे तम्हारे द्वार पर लेकर आया है.

जो लोग स्त्रियों को अपशब्द कहते हैं, जाति को आधार बनाकर दूसरों के साथ ग़लत व्यवहार करते हैं, उन पर अत्याचार करते हैं, वह प्रभु राम के अपराधी हैं. यदि हम यह चाहते हैं कि प्रभु राम हमसे प्रसन्न हों तब हमें सब मनुष्यों के साथ प्रेम का रिश्ता बनाना होगा. हर इंसान मैं हमें प्रभु राम का रूप दिखाई देना चाहिए.

हिन्दू, मुसलमान, क्या नही रहे इंसान?


चिट्ठाजगत अधिकृत कड़ी

एक
गाँव मैं एक आदमी आया
गाँव के बाहर पेड़ के नीचे बने चबूतरे पर बैठ गया.
हिन्दुओं
ने समझा कोई संत हैं,
मुसलमानो
ने समझा कोई फकीर हैं,
पंडितजी
आए, मौलाना आए,

'आप गाँव के मेहमान हैं',
'क्या सेवा करे आपकी',
'प्यासा हूं पानी पिला दो, भूखा हूं खाना खिला दो',
पंडितजी बोले अभी लाये,
मौलाना बोले अभी लाये,

मेहमान ने कहा 'एक बात का ध्यान रखना,
जो पानी और खाना हिंदू लाये उसमे न लगा हो हाथ गैर हिन्दू का,
ऐसे ही ध्यान रखे मुसलमान,
जो पानी और खाना वह लाये उसमे न लगा हो हाथ गैर मुसलमान का,
लोग चकरा गए,
ऐसे कैसे हो सकता है,
यह गारंटी कैसे दी जा सकती है,
पानी एक है, धूप एक है, हवा एक है,
खेतो मैं हाथ लगा है सब का,
किसने बनाये बर्तन भांडे,
किसने आटा पीसा,
हाथ जोढ़ कर बोले दोनों,
शर्त कठिन है इसे हटाओ.

मेहमान ने कहा या तो मेरी शर्त मानो,
या मैं तुम्हारे गाँव से भूखा जाऊंगा,
पंडितजी ने कहा हमे छमा करो,
मौलाना ने कहा हमे माफ़ करो,
मेहमान ने कहा,
जब सब कुछ एक है तो तुम कैसे अलग हो,
तुम हिन्दू, यह मुसलमान,
क्या नहीं रहे तुम इंसान?
धरम पर करो बंद हिंसा,
दोनों मिलकर पानी लाओ,
दोनों मिलकर खाना लाओ,
यही हुआ,
मेहमान ने खुशी से खाना खाया और पानी पिया,
सबके लिए दुआ की और अगले गाँव चला गया.

कहानी कहती है,
उस गाँव मैं फिर धरम के ऊपर फसाद नहीं हुआ.

भगवान् से मुलाकात


कल अचानक ही हो गई
भगवान् से मुलाकात,
पूछने लगे कैसे हो,
अच्छा हूँ मैंने कहा,
क्या सचमुच?
हाँ सचमुच, कहा मैंने
खूब तरक्की कर रहा है भारत, कहा मैंने
क्या सचमुच?
मुझे लगा कुछ गड़बड़ है,
ध्यान से देखा तो घबराया,
उनके चेहरे पर कुछ दर्द नजर आया,
आप कुछ परेशान हैं? मैंने पूछा,
मैंने तो प्रेम बनाया था,
नफरत कहाँ से ले आए तुम इंसान?
लड़ते हो आपस मैं,
मारते हो एक दूसरे को,
कौन पिता चाहेगा,
मारें उसके बच्चे एक दूसरे को?
पर क्या यह काफ़ी नहीं था?
तुम तो और आगे निकल गए,
घसीट लिया मुझे बीच मैं,
मेरे नाम पर करते हो हिंसा,
सोचते हो मैं खुश होऊंगा तुमसे?
काम करते हो शैतान का,
नाम लेते हो भगवान् का,
बंद करो यह हिंसा वरना पच्ताओगे,
जहन्नुम की आग् मैं फैंक दिए जाओगे.
डर से मैंने आँखें बंद कर ली,
खोली तो मैं अकेला था.
फ़िर एक आवाज आई,
प्रेम करो सब से,
नफरत न करो किसी से.

Tuesday, January 01, 2008

Shri Ram Chandra Kripalu Bhaj Man .......

Bring love back in our lives


In 2007 we have seen love loosing to hate, peace loosing to violence. We should stop and ponder. Are we going to allow this to continue or we should do something to reverse the trend?

If we want that in year 2008, love should emerge victorious over hate and peace over violence then we need to bring love back in to our lives. My friends wonder where the love has gone. I wonder too. Has love really gone out of our lives or it is still there within our hearts but has been covered by greed which brought hate and violence to the front? Whatever is the situaion we should re-discover love. Without love we cease to be human beings.

Every year people make new resolutions. I also do. Last year I made a resolution to develop positive attitude towards life and people. I succeeded to some extent. I continue with this resolution for year 2008 also.

This year I make a new resolution to bring love back in our lives. Let love be victorious on hate. Let peace be victorious on violence.

I have many wishes too (list is very long. Here are some):

No deaths under blue line buses.

No killings of senior citizens.

No child abuse.

No violence against women.

No road rage.

No police brutality on innocent citizens.

No expolitation of and discrimination against any citizen.

No terror killings.

Love all, hate none.

Sab ka maalik ek hai (one master for all).

No photos of ministers on public ads.

HAPPY NEW YEAR TO ALL.