दैनिक प्रार्थना

हमारे मन में सबके प्रति प्रेम, सहानुभूति, मित्रता और शांतिपूर्वक साथ रहने का भाव हो.

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Thursday, July 10, 2008

आरएसएस की शाखा, प्राणायाम और मुसलमान

मैं जिस पार्क में सुबह घूमने जाता हूँ वहां आरएसएस की एक शाखा चलती है. लोग घूमते रहते हैं, कुछ लोग प्राणायाम करते हैं, कुछ लोग सत्संग करते हैं, बच्चे खेलते रहते हैं. मतलब यह कि लोग जिस उद्देश्य से पार्क में जाते हैं उस के अनुसार पार्क में जाने का आनंद उठाते हैं.

आज जब मैं पार्क में पहुँचा तो मैंने देखा कि आरएसएस की शाखा चल रही है, और उसके पास एक मुसलमान सज्जन हरी घास पर चादर विछा कर प्राणायाम कर रहे हैं. किसी को किसी से कोई परेशानी नहीं है. मैंने चुपके से कुछ फोटों खींच लीं. आप भी देखिये.
अक्सर लोग आरएसएस के बारे मैं यह कहते हैं कि वह मुस्लिम विरोधी है. यहाँ तो मुझे ऐसा कुछ नजर नहीं आया. उन मुस्लिम सज्जन के हाव-भाव से भी ऐसा नहीं लग रहा था कि वह आरएसएस के झंडे के पास प्राणायाम करते हुए कुछ परेशान हैं. दोनोअपना काम करते रहे. पहले मुस्लिम सज्जन ने प्राणायाम पूरा किया, अपनी चादर समेटी और चले गए. उसके बाद आरएसएस की विधि-पूर्वक शाखा पूरी हुई और वह लोग भी चले गए.

Thursday, March 13, 2008

हिन्दू, मुसलमान, क्या नही रहे इंसान?


चिट्ठाजगत अधिकृत कड़ी

एक
गाँव मैं एक आदमी आया
गाँव के बाहर पेड़ के नीचे बने चबूतरे पर बैठ गया.
हिन्दुओं
ने समझा कोई संत हैं,
मुसलमानो
ने समझा कोई फकीर हैं,
पंडितजी
आए, मौलाना आए,

'आप गाँव के मेहमान हैं',
'क्या सेवा करे आपकी',
'प्यासा हूं पानी पिला दो, भूखा हूं खाना खिला दो',
पंडितजी बोले अभी लाये,
मौलाना बोले अभी लाये,

मेहमान ने कहा 'एक बात का ध्यान रखना,
जो पानी और खाना हिंदू लाये उसमे न लगा हो हाथ गैर हिन्दू का,
ऐसे ही ध्यान रखे मुसलमान,
जो पानी और खाना वह लाये उसमे न लगा हो हाथ गैर मुसलमान का,
लोग चकरा गए,
ऐसे कैसे हो सकता है,
यह गारंटी कैसे दी जा सकती है,
पानी एक है, धूप एक है, हवा एक है,
खेतो मैं हाथ लगा है सब का,
किसने बनाये बर्तन भांडे,
किसने आटा पीसा,
हाथ जोढ़ कर बोले दोनों,
शर्त कठिन है इसे हटाओ.

मेहमान ने कहा या तो मेरी शर्त मानो,
या मैं तुम्हारे गाँव से भूखा जाऊंगा,
पंडितजी ने कहा हमे छमा करो,
मौलाना ने कहा हमे माफ़ करो,
मेहमान ने कहा,
जब सब कुछ एक है तो तुम कैसे अलग हो,
तुम हिन्दू, यह मुसलमान,
क्या नहीं रहे तुम इंसान?
धरम पर करो बंद हिंसा,
दोनों मिलकर पानी लाओ,
दोनों मिलकर खाना लाओ,
यही हुआ,
मेहमान ने खुशी से खाना खाया और पानी पिया,
सबके लिए दुआ की और अगले गाँव चला गया.

कहानी कहती है,
उस गाँव मैं फिर धरम के ऊपर फसाद नहीं हुआ.

Saturday, July 28, 2007

What is the religion of God?

Can anybody answer these questions?

Is God Hindu, Muslim, Sikh or Christian?

We have air, water and sunlight. Which portion of these has been sent by Hindu God, Muslim God, Sikh God or Christian God?

When temperature is high, Hindu, Muslim, Sikh and Christians suffer alike. Why can't they ask their own God to send some cold air for them?

If our Gods are different then we should not we ask them to colour our blood differently?