जयपुर के एक ईसाई स्कूल में कुछ छात्र इस लिए निष्काषित कर दिए गए क्योंकि उन्होंने अपने क्लास रूम में गणेश पूजा की। ऐसा करते हुए स्कूल प्रशासन ने कहा कि यह स्कूल है मन्दिर नहीं। अजीब बात है कि एक स्कूल चर्च तो हो सकता है पर मन्दिर नहीं हो सकता। एक स्कूल मस्जिद हो सकता है पर मन्दिर नहीं हो सकता।
बचपन में पढ़ा था कि स्कूल ज्ञान का मन्दिर होते हें। पर शायद यह बात सब स्कूलों पर लागू नहीं होती। कुछ स्कूल ज्ञान का चर्च होते हें। इन्हें मन्दिर की तरह देखने पर सजा मिलती है। सारे संसार में शायद भारत ही एक ऐसा देश है जहाँ लोग ऐसा कह सकते हें और छात्रों को स्कूल से निकाल सकते हें।
हिन्दू संघटनों ने इसका विरोध किया। ईश्वर की कृपा से मामला सुलझ गया। स्कूल प्रशासन ने छात्रों को स्कूल में वापस लेने का निर्णय किया। मगर एक बात की कमी रही। इस बात पर पोप का कोई बयान नहीं आया। शायद वह तब बयान देते जब हिंसा हो जाती और कोई ईसाई मारा जाता। जैसा उन्होंने उड़ीसा के सन्दर्भ में कहा।
6 comments:
hindoo bahut jaldi alpsankhyak hone jaa raha hai tab shayad use chhooot mil jayegi
bhut badhiya. jari rhe.
भैय्या जी, मै नेपाल से हुं । यहां के माओवादी आन्दोलन के कारण समर्थ लोग अपने बच्चो को भारत के स्कुलो मे पढाते है । बंगलोर और दार्जलिंग के कई मिसनरी स्कुलो मे नेपाल के कई बच्चे पढते है । उन्हे हिन्दु पर्व त्योहार पर छुट्टी नही दी जाती, धर्मिक आस्थावश पहने जाने वाले धागे और जंजीर को स्कुल प्रशासन जबरजस्ती उतरवा देता है । उन्हे ईच्छा के विपरित चर्च मे प्रार्थना के लिए बाध्य किया जाता है । ईसाई संतो के उपर लेख लिखने और बोलने के कार्यक्रम आयोजित किए जाते है जिससे अवचेतन रुप से बच्चो की धार्मिक आस्था मे परिवर्तन किया जा सके । क्या यही है भारत की धर्म निर्पेक्षता ? धिक्कार है भारत के हिन्दुओ को । जहां अच्छी शिक्षा के लिए फिरंगीयो का धर्म अपनाने की बाध्यात्मक अवस्था सृजित की जा रही है ॥
हम संकल्प ले की जहा तक सम्भव हो हम अपने बच्चो को मिसनरी स्कुल मे न पढाए । अगर एसा करना आवश्यक हो तो अभिभावकगण ईमेल द्वारा एक नेटवर्क (संजाल) बना कर उनकी ज्यादतियो का कानुनी रुप से विरोध करे ।
दोष स्कूल वालों का है ही नहीं, अभिभावक अपने बच्चों को वहाँ पढ़ाते ही क्यों है? उनके अपने नियम है, जो मानने ही होंगे. मिशनरियों की बहुत ही करतुतें देखी है. एक-आध में भी लिख देता हूँ.
विचारणीय आलेख!!
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