जिस अल्लाह के नाम पर कल कुछ कातिलों ने दिल्ली में बहुत से निर्दोष इंसानों को मार डाला वह अल्लाह नहीं हो सकता. अल्लाह तो प्रेम का एक रूप है. सारे इंसान उस के बच्चे हैं. कोई पिता अपने बच्चों में भेदभाव नहीं करता. कोई पिता यह नहीं चाह सकता कि उस के कुछ बच्चे दूसरे बच्चों को मार डालें. यह कातिल शैतान के बच्चे हैं और अल्लाह को बदनाम कर रहे हैं. अल्लाह के हर बन्दे का यह कर्तव्य है कि वह इन कातिलों को बेनकाब करे. इन की मदद करना, इन्हें अपने घर में पनाह देना, इन के द्वारा किए जा रहे खून खराबे को मजहब के नाम पर सही ठहराना, अल्लाह के ख़िलाफ़ एक ऐसा गुनाह है जिस की कोई माफ़ी नहीं हो सकती.
मेरे मन में कुछ सवाल उठते हैं. क्या कोई सच्चा मुसलमान रमजान के महीने में किसी इंसान का खून बहा सकता है? क्या इस्लाम इस की इजाजत देता है? क्या निर्दोष इंसानों का खून बहा कर कोई अपने को मुसलमान कह सकता है? क्या मुसलमानों को ऐसे कातिलों को अपनी मुस्लिम बिरादरी का हिस्सा मानना चाहिए? क्या अल्लाह और शैतान के बन्दे एक साथ रह सकते हैं? क्या उन में कोई भाईचारा हो सकता है. अगर इन सवालों का जबाब 'नहीं' है तो हिन्दुस्तान के मुसलमान इन कातिलों से अपने रिश्ते क्यों नहीं तोड़ते, क्यों इन कातिलों को अपनी बिरादरी से बाहर नहीं निकालते, क्यों इन कातिलों को 'शैतान की औलाद' करार देते? इस सब के बाद एक सवाल उठता है - 'क्या हिन्दुस्तान के मुसलमान इन कातिलों के साथ हैं, और इस खून-खराबे में इन कातिलों का साथ देते हैं?
यही सवाल इस देश की सरकार से भी पूछता हूँ में. और यह सवाल भी कि वह क्यों इन कातिलों के ख़िलाफ़ कार्यवाही करने से डरती है? यह सरकार ऐसा क्यों सोचती है कि इन कातिलों को फांसी पर लटकाने से हिन्दुस्तान के मुसलमान उस के ख़िलाफ़ हो जायेंगे? क्या इस का सीधा मतलब यह नहीं है कि यह सरकार मानती है कि इस खून-खराबे में हिन्दुतान के मुसलमान शामिल हैं? इन के वोट हासिल करने के लिए वह कब तक निर्दोष हिन्दुस्तानियों का खून बहाती रहेगी?
लालू, पासवान और मुलायम उस सरकार में मंत्री हैं जो सिमी को एक आतंकवादी संगठन मानती है. जिस सरकार के मुखिया ने कल कहा कि इन कातिलों के ख़िलाफ़ लड़ाई उन की सरकार की मुख्य प्राथमिकता है. सिमी और उस के द्वारा किए जा रहे खून खराबे को समर्थन देने वाले यह जन-देश-विरोधी नेता कैसे उस सरकार में मंत्री बने हुए हैं? क्यों नहीं सरकार के मुखिया इन जन-देश-विरोधी नेताओं को अपनी सरकार से बर्खास्त करते और उन के ख़िलाफ़ कार्यवाही करते? कितने और हिन्दुस्तानियो को मरवाएगी यह सरकार?
मैंने अपनी पिछली पोस्ट में हिन्दुस्तान के मुसलमानों को रमजान की मुबारकवाद दी थी. अब मैं क्या कहूं, कुछ समझ में नहीं आ रहा.
4 comments:
जी नहीं ,वह अल्लाह नहीं हो सकता .
ये शैतान के ही औलाद हैं....और मूझे नहीं लगता कि भारत के मुसलमान भी इन सिरफिरों का साथ देंगे.
भगवान करे शैतान के उन औलादों तक आपका यह नेक पैगाम पहुँचे।
अब आप ईद की मुबारकबाद दीजिए। मारने वाला अल्लाह का बंदा नहीं, और न ही मुसलमान।
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