खुदा हिन्दू है या मुसलमान?
ईसाई, सिख, बौध या जैन?
मेरा सोच कुछ अलग है,
खुदा का कोई मजहब नहीं होता,
खुदा किसी के लिए मजहब नहीं चुनता,
मजहब बनाये है इंसान ने,
और बंद कर दिया है खुदा को,
अपने मजहब की दीवारों में,
कोई फर्क नहीं पड़ता खुदा को,
कौन किस धर्म को मानता है,
और उसे किस नाम से पुकारता है,
खुदा मानता है प्रेम के सम्बन्ध को,
जो इंसान दूसरे इंसानों को प्रेम करता है,
खुदा उसे प्रेम करता है,
प्रेम करो सब से,
नफरत न करो किसी से,
सब का मालिक एक है.