कल मुझे दस बजे अपने एक क्लाइंट के यहाँ पहुंचना था. बहुत जरूरी मीटिंग थी. लेकिन रास्ता बंद कर दिया गया था. बहुत ज्यादा परेशानी उठा कर वारह बजे पहुँच पाया. क्लाइंट अलग नाराज. काम बिगड़ गया. मेरे जैसे हजारों लोग कल इसी तरह परेशान हुए होंगे और कितनों ने नुक्सान भी उठाया होगा. कितना पेट्रोल और डीजल बेकार खर्च हुआ होगा.
राष्ट्रीय राजमार्ग पर नमाज पढ़ना और इस के लिए उसे बंद कर देना, एक गलत फैसला था. सरकार और पुलिस इस गलती के लिए जिम्मेदार हैं. मुसलमान भाइयों को सोचना चाहिए था कि सड़क पर नमाज पढने से दूसरे नागरिकों को कितनी परेशानी होगी.
बहुत तकलीफ हुई मुझे.
5 comments:
यह मामला ईद के साथ ही नहीं है। दुर्गा पूजा के पाण्डाल, होली के वक्त हफ्ते भर से भी अधिक रास्ता रोकते और आने जाने वालों को क्षति पहुंचाते लोग, नेताओं की सभा के लिए रुकती सड़कें यह बहुत लम्बी गाथा है। ईद की नमाज दो साल में दो बार ही होती है। इस विषय को जनरलाइज होना चाहिए।
bilkul id tho do bar hi hoti hai,durga puja,ganesh chatruthi, jaise tyohaaron par 9din,10din raste band rehte hai.ye vishay generalized hai,sab ko milkar hi haal nikalna chahiye.
एक बेहद "साम्प्रदायिक" पोस्ट…
ठीक कहते वाकई परेशानी होती होगी,ये पोस्ट तुम हर ईद पर पेस्ट करदेते हो इससे भी परेशानी होती है, कभी कांवड यात्रा में गये हो मेरे कैराना से भी होकर गुज़रती है जितने रास्ते से गुजरती है जितने दिन तक चलती है क्यामत गुजरती है पूरे इलाके पर, ऐसे सारे देश में अलग अलग त्यौहार यात्रायें जिनसे विभिन्न प्रकार की यातायात संबंधी समस्यायें होती हैं उनपर भी विचार करो,
परन्तु फिर भी मैं अपने भाइयों से कहता हूं कि
उन्हें सोचना चाहिये जो खुशी वह 30 दिन भूखे रहकर भूख को जानकर, शैतान से जीत कर मना रहे है वह व्यर्थ जायेगी, ऐसा नहीं करना चाहिये अगर वह ऐसा नहीं करेंगे तो हर हफ्ते महीनों में जो सैंकडों प्रकार के त्यौहार पडते हैं उनमें जाम होते हैं वह भी नहीं हुआ करेंगे उनके लिये भी वह तभी तो आवाज उठा सकेंगे,
तो क्या मुसलमानों ने और सरकार और पुलिस ने हाईवे इस लिए बंद किया था कि हिन्दू भी अपने त्योहारों पर रास्ते बंद करते हैं. अगर यह सही है तो यह साबित हो गया कि ईद और खुदा से इस का कोई सम्बन्ध नहीं था, और यह सिर्फ बदले की कार्यवाही थी. इस से मुझे बहुत तकलीफ हुई और मेरे बिजनिस को नुक्सान पहुंचा. क्या मुझे अपनी व्यक्तिगत परेशानी पर ऐतराज करने का हक़ नहीं है? अपने इस नकारात्मक सोच को बदलिए.
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