
अखवार में यह लेख पढ़ा, बहुत अच्छा लगा, सोचा आप सबसे बांटू.
आज भारतीय समाज में मानवीय संबंधों का जितना अनादर हो रहा है उतना कभी नहीं हुआ होगा. किसी भी मानवीय सम्बन्ध का कोई अर्थ नहीं रह गया है. लालच में मनुष्य इतना अँधा हो गया है कि कुछ रुपयों के लिए भी हिंसक हो उठता है. क्या होगा इस समाज का जहाँ पुत्री पिता के साथ, बहन भाई के साथ सुरक्षित नहीं है? छणिक शारीरक सुख के लिए मनुष्य किसी भी पवित्र सम्बन्ध की बलि चढ़ाने को तैयार हो जाता है. मानवीय संबंधों का आदर करना आज न घर में सिखाया जाता है और न विद्यालय में. अखवार ऐसी ख़बरों से भरे रहते हैं जिन्हें पढ़ कर मन अन्दर तक दहल जाता है. कहानी, उपन्यास, चल चित्र, टी वी सीरिअल सब मानवीय संबंधों की धज्जियाँ उडाने पर तुले हुए हैं. ऐसे में यह लेख पढ़ कर मन को कुछ शान्ति मिली.