आजकल सेक्युलेरिज्म का बड़ा चर्चा है. कुछ लोग स्वंय को सेक्युलर कहते हैं और जो लोग उनकी बात से सहमत नहीं होते उन्हैं यह लोग आसानी से क्म्युनल कह देते हैं. आईये चर्चा करें कि यह सेक्युलेरिज्म है क्या. क्या इसे धर्मनिर्पेक्षता कह सकते हैं? क्या इसे सर्व-धर्म-सदभाव कहना चाहिये?
कुछ लोग किसी धर्म को नहीं मानते. इनके अनुसार धर्म ही सारी समस्याओं का कारण है. धर्म को गाली देने में यह लोग अपनी शान समझते हैं. ऐसे लोगो को अधर्मी तो कहा जा सकता है सेक्युलर नहीं.
कुछ लोग किसी धर्म को नहीं मानते पर वह धर्म को गाली भी नहीं देते. इनके अनुसार धर्म किसी भी व्यक्ति का क्यक्तिगत मामला है और जो लोग धर्म को मानते है वह भी सही हैं और जो लोग धर्म को नहीं मानते वह भी सही हैं. पर यह लोग चाहते हैं कि लोग धर्म का गलत इस्तेमाल न करें. दूसरे लोगों को तंग करने में या एक दूसरे को लड़ाने में धर्म का गलत इस्तेमाल नही होना चाहिये. ऐसे लोगो को सेक्युलर कहा जाना चाहिये.
कुछ लोग एक धर्म विशेष को मानते हैं और बाकी सभी धर्मों का भी सम्मान करते हैं. ऐसे लोगो को सच्चा सेक्युलर कहा जाना चाहिये.
कुछ लोग एक धर्म विशेष को मानते हैं पर बाकी सभी धर्मों का अनादर करते हैं. दूसरे धर्मों के लोगों के प्रति हिंसा भी करते हैं. ऐसे लोगो को भी अधर्मी तो कहा जा सकता है सेक्युलर किसी हालत में नहीं. मेरे विचार में यह लोग ईश्वर और मानवता के प्रति अपराधी हैं.
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