आजकल सेक्युलेरिज्म का बड़ा चर्चा है. कुछ लोग स्वंय को सेक्युलर कहते हैं और जो लोग उनकी बात से सहमत नहीं होते उन्हैं यह लोग आसानी से क्म्युनल कह देते हैं. आईये चर्चा करें कि यह सेक्युलेरिज्म है क्या. क्या इसे धर्मनिर्पेक्षता कह सकते हैं? क्या इसे सर्व-धर्म-सदभाव कहना चाहिये?
कुछ लोग किसी धर्म को नहीं मानते. इनके अनुसार धर्म ही सारी समस्याओं का कारण है. धर्म को गाली देने में यह लोग अपनी शान समझते हैं. ऐसे लोगो को अधर्मी तो कहा जा सकता है सेक्युलर नहीं.
कुछ लोग किसी धर्म को नहीं मानते पर वह धर्म को गाली भी नहीं देते. इनके अनुसार धर्म किसी भी व्यक्ति का क्यक्तिगत मामला है और जो लोग धर्म को मानते है वह भी सही हैं और जो लोग धर्म को नहीं मानते वह भी सही हैं. पर यह लोग चाहते हैं कि लोग धर्म का गलत इस्तेमाल न करें. दूसरे लोगों को तंग करने में या एक दूसरे को लड़ाने में धर्म का गलत इस्तेमाल नही होना चाहिये. ऐसे लोगो को सेक्युलर कहा जाना चाहिये.
कुछ लोग एक धर्म विशेष को मानते हैं और बाकी सभी धर्मों का भी सम्मान करते हैं. ऐसे लोगो को सच्चा सेक्युलर कहा जाना चाहिये.
कुछ लोग एक धर्म विशेष को मानते हैं पर बाकी सभी धर्मों का अनादर करते हैं. दूसरे धर्मों के लोगों के प्रति हिंसा भी करते हैं. ऐसे लोगो को भी अधर्मी तो कहा जा सकता है सेक्युलर किसी हालत में नहीं. मेरे विचार में यह लोग ईश्वर और मानवता के प्रति अपराधी हैं.
साईं बाबा कहा करते थे कि सब का मालिक एक है. हम सब ईश्वर की संतान हैं. ईश्वर चाहता है कि हम सब एक दूसरे से प्रेम करें. आइये नफरत को अपने दिल से निकाल दें, सब से प्रेम करें और कहें, सब का मालिक एक है.
दैनिक प्रार्थना
हमारे मन में सबके प्रति प्रेम, सहानुभूति, मित्रता और शांतिपूर्वक साथ रहने का भाव हो.
Thursday, August 17, 2006
My religion is eternal religion
आज जिस धर्म को हिन्दू धर्म कहा जाता है वह वास्तव में सनातन धर्म है. एक ऐसा धर्म जिसका न कोई आदि है और न कोई अंत. भारत का इतिहास बहुत पुराना है. यह हर भारतीय के लिये गर्व की बात है कि भारत ने कभी किसी देश पर अपनी सीमाओं के विस्तार के लिये हमला नहीं किया. हालांकि अनेक देशों ने भारत पर हमले किये और अपने धर्म को हम पर लादने की जबरदश्त कोशिशें की. इन्हीं हमलावरों ने इस सनातन धर्म को हिन्दू धर्म कहना शुरू किया.
दूसरे अनेक धर्मों की तरह सनातन (हिन्दू) धर्म किसी एक व्यक्ति द्ववारा शुरु नहीं किया गया. यह मौलिक मानवीय सिद्धांतो पर आधारित है जो समय के आधीन नहीं हैं. इसमें किसी और धर्म के व्यक्ति का धर्म परिवर्तन करके उसे हिन्दू बनाने का कोई प्रावधान नहीं है. जो व्यक्ति इन मौलिक मानवीय सिद्धांतो पर विश्वास करता है और उनके अनुसार व्य्वहार करता है वह हिन्दू है. इसलिये किसी हिन्दू ने किसी और धर्म के व्यक्ति को जबरदस्ती अपने धर्म में शामिल करने की कोशिश नहीं की.
दूसरे धर्म, जो किसी न किसी व्यक्ति द्वारा शुरु किये गये, हिन्दू धर्म की इस विशेशता को समझ नही पाये और एक अन्दरूनी डर की वजह से हिन्दूओं से डरते रहे और उन पर हमले करते रहे. आज भी यह हमले जारी हैं. हिन्दू धर्म के बारे में गलत बातें करके उसे बदनाम करना, उसे एक तंग नजरिये का धर्म कहना, और हिन्दू देवी देवताओं को गालियां देना इन हमलों का ही हिस्सा हैं. आश्चर्य की बात यह है कि यह सारे इलजाम वह लोग लगाते हैं जिनके अपने धर्म हिंसा से धर्म परिवर्तन की बात करते हैं या ऐसे कुछ हिन्दू जो अपने धर्म की बुराई करने में शान समझते हैं.
मुझे गर्व है कि मैं एक हिन्दू हूं और सनातन धर्म में विश्वास करता हूं.
दूसरे अनेक धर्मों की तरह सनातन (हिन्दू) धर्म किसी एक व्यक्ति द्ववारा शुरु नहीं किया गया. यह मौलिक मानवीय सिद्धांतो पर आधारित है जो समय के आधीन नहीं हैं. इसमें किसी और धर्म के व्यक्ति का धर्म परिवर्तन करके उसे हिन्दू बनाने का कोई प्रावधान नहीं है. जो व्यक्ति इन मौलिक मानवीय सिद्धांतो पर विश्वास करता है और उनके अनुसार व्य्वहार करता है वह हिन्दू है. इसलिये किसी हिन्दू ने किसी और धर्म के व्यक्ति को जबरदस्ती अपने धर्म में शामिल करने की कोशिश नहीं की.
दूसरे धर्म, जो किसी न किसी व्यक्ति द्वारा शुरु किये गये, हिन्दू धर्म की इस विशेशता को समझ नही पाये और एक अन्दरूनी डर की वजह से हिन्दूओं से डरते रहे और उन पर हमले करते रहे. आज भी यह हमले जारी हैं. हिन्दू धर्म के बारे में गलत बातें करके उसे बदनाम करना, उसे एक तंग नजरिये का धर्म कहना, और हिन्दू देवी देवताओं को गालियां देना इन हमलों का ही हिस्सा हैं. आश्चर्य की बात यह है कि यह सारे इलजाम वह लोग लगाते हैं जिनके अपने धर्म हिंसा से धर्म परिवर्तन की बात करते हैं या ऐसे कुछ हिन्दू जो अपने धर्म की बुराई करने में शान समझते हैं.
मुझे गर्व है कि मैं एक हिन्दू हूं और सनातन धर्म में विश्वास करता हूं.
Sunday, August 13, 2006
Bhagwan aur Insaan
Aajkal Woh rehta hai bahut pareshan,
Insaan ne rakh diye hain uske alag alag naam,
Koi kehta hai Allah, Koi Jesus,
Koi Wahe Guru aur koi Bhagwan,
Maar rahe hain ek doosre ko,
Lekar uska naam,
Kisne sikha di inhe nafrat,
Maine to banai thi sirf mohabbat.
Insaan ne rakh diye hain uske alag alag naam,
Koi kehta hai Allah, Koi Jesus,
Koi Wahe Guru aur koi Bhagwan,
Maar rahe hain ek doosre ko,
Lekar uska naam,
Kisne sikha di inhe nafrat,
Maine to banai thi sirf mohabbat.
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