लोग अपनी-अपनी आस्था के अनुसार पूजा करते हैं. सब के पूजा करने के अपने अलग तरीके हैं. सबका अपना विश्वास है कि इस तरह पूजा कर के वह अपने भगवान् को पा सकेंगे.
सब अपनी आस्था के अनुसार पूजा करें, और दूसरों को उनकी आस्था के अनुसार पूजा करने दें. किसी और की पूजा पद्धति से किसी दूसरे को तकलीफ क्यों हो?
कुछ लोग मूर्ति पूजा करते हैं, कुछ नहीं. जो मूर्ति पूजा करते हैं उन्हें कोई तकलीफ नहीं कि दूसरे पूजा कैसे करते हैं. लेकिन कुछ लोग, जो मूर्ति पूजा नहीं करते, परेशान रहते हैं कि कुछ लोग मूर्ति पूजा क्यों करते हैं. यह लोग मूर्ति पूजा में विश्वास नहीं करते, इस में कोई ग़लत बात नहीं है, लेकिन जब यह लोग मूर्ति पूजा का विरोध करने लगते हैं तब समस्या पैदा हो जाती है. मूर्ति पूजा न करने वालों को इस ग़लत बात से बचना चाहिए.
तुम अपनी पूजा करो, दूसरों को उन की पूजा करने दो. सब का मालिक एक है.