मुराद अली बैग एक लेखक हैं. इन्होनें कई किताबें लिखी हैं धर्म पर. आज एक अखबार में उनका एक लेख छपा है जिसका शीर्षक है 'वायोलेंट रिलीजन' यानी 'हिंसक धर्म'. यह लेख श्रावण मास में कांवरियों द्बारा गंगाजल लाने के बारे में है. लेख में कुछ अच्छी बातें लिखी हैं, पर कुछ ऐसी बातें भी हैं जिन्हें अगर न लिखा जाता तो अच्छा होता.
पहली ग़लत बात तो है इस लेख का शीर्षक.
१) अगर कांवरियों के गंगाजल लेकर घर लौटने से हरिद्वार-दिल्ली मार्ग पर ट्रेफिक अवरुद्ध हो जाता है और प्रशासन इस मार्ग को अन्य यात्रिओं के लिए बंद कर देता है तो हिंदू धर्म को हिंसक धर्म कह देना क्या सही है? यह बात ध्यान रखने की है कि एक अन्य मार्ग से हरिद्वार-दिल्ली के बीच आवागमन चलता रहता है. रास्ते तो मुहर्रम का जलूस निकालने के लिए भी बंद किए जाते हैं. क्या इस से इस्लाम एक हिंसक धर्म हो जाता है?
२) सड़क पर दुर्घटनाएं होती हैं। इन कांवरियों के आने के दौरान भी दुर्घटनाएं हो जाती हैं। यह दुखद है। इन दुर्घटनाओं से क्रोधित होकर कांवरियों द्बारा जन-संपत्ति को नुकसान पहुंचाना ग़लत है, पर क्या इस के कारण हिंदू धर्म को हिंसक धर्म कह देना सही है? सड़क दुर्घटनाओं से क्रोधित होकर जनता द्बारा जन-संपत्ति को नुकसान पहुंचाने की घटनाएं आए दिन होती रहती हैं. पर इस के लिए कभी किसी को किसी धर्म को हिंसक करार देते नहीं सुना. गाजियाबाद लोनी में एक विवादास्पद स्थल पर जब पुलिस ने एक मस्जिद के गैरकानूनी निर्माण को रोका तो भीड़ ने पुलिस पोस्ट को जला दिया और पुलिस स्टेशन को जलाने का प्रयास किया. क्या मुराद जी इस्लाम को हिंसक धर्म कहेंगे? क्या इस्लामिक जिहाद के नाम पर जब मुसलमान आतंकवादी हमले करके अनेक निर्दोष लोगों को मौत के घाट उतार देते हैं तब मुराद जी इस्लाम को हिंसक धर्म नहीं कहते.
मुराद जी ने कांवरियों द्बारा गंगाजल लाने को एक खोखली प्रथा, धर्मान्धता और अंधविश्वास की संज्ञा दी है. उन्होंने आगे यह कहा है कि इन्हीं ग़लत बातों के कारण कुछ महापुरुष नए धर्मों की नीव डालते हैं. इस सिलसिले में उन्होंने मुहम्मद द्बारा इस्लाम की नीव डालने का हवाला दिया है. अब इस्लाम के नाम पर हो रही मार काट को देखते हुए क्या एक और मुहम्मद की जरूरत मुराद जी को नहीं महसूस होती?
अच्छा होता कि मुराद जी अपने लेख में कुछ संय्म बरतते और कांवरियों से सम्बंधित समस्या को धर्म से न जोड़ते. ऐसे लेख दूसरों के मन को केवल दुःख पहुँचा सकते हैं.
साईं बाबा कहा करते थे कि सब का मालिक एक है. हम सब ईश्वर की संतान हैं. ईश्वर चाहता है कि हम सब एक दूसरे से प्रेम करें. आइये नफरत को अपने दिल से निकाल दें, सब से प्रेम करें और कहें, सब का मालिक एक है.
दैनिक प्रार्थना
हमारे मन में सबके प्रति प्रेम, सहानुभूति, मित्रता और शांतिपूर्वक साथ रहने का भाव हो.
Friday, July 25, 2008
Monday, July 21, 2008
दो तस्वीरें और
मैंने अपनी पिछली पोस्ट में कुछ तस्वीरे पोस्ट की थीं, आरएसएस की शाखा और एक मुसलमान सज्जन द्वारा किए जा रहे प्राणायाम पर। आज फ़िर दो तस्वीरें लाया हूँ आपके लिए। वही मुसलमान सज्जन प्राणायाम कर रहे हें औए पास ही में शाखा हो रही है।
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Thursday, July 10, 2008
आरएसएस की शाखा, प्राणायाम और मुसलमान
मैं जिस पार्क में सुबह घूमने जाता हूँ वहां आरएसएस की एक शाखा चलती है. लोग घूमते रहते हैं, कुछ लोग प्राणायाम करते हैं, कुछ लोग सत्संग करते हैं, बच्चे खेलते रहते हैं. मतलब यह कि लोग जिस उद्देश्य से पार्क में जाते हैं उस के अनुसार पार्क में जाने का आनंद उठाते हैं.
आज जब मैं पार्क में पहुँचा तो मैंने देखा कि आरएसएस की शाखा चल रही है, और उसके पास एक मुसलमान सज्जन हरी घास पर चादर विछा कर प्राणायाम कर रहे हैं. किसी को किसी से कोई परेशानी नहीं है. मैंने चुपके से कुछ फोटों खींच लीं. आप भी देखिये.
अक्सर लोग आरएसएस के बारे मैं यह कहते हैं कि वह मुस्लिम विरोधी है. यहाँ तो मुझे ऐसा कुछ नजर नहीं आया. उन मुस्लिम सज्जन के हाव-भाव से भी ऐसा नहीं लग रहा था कि वह आरएसएस के झंडे के पास प्राणायाम करते हुए कुछ परेशान हैं. दोनोअपना काम करते रहे. पहले मुस्लिम सज्जन ने प्राणायाम पूरा किया, अपनी चादर समेटी और चले गए. उसके बाद आरएसएस की विधि-पूर्वक शाखा पूरी हुई और वह लोग भी चले गए.
आज जब मैं पार्क में पहुँचा तो मैंने देखा कि आरएसएस की शाखा चल रही है, और उसके पास एक मुसलमान सज्जन हरी घास पर चादर विछा कर प्राणायाम कर रहे हैं. किसी को किसी से कोई परेशानी नहीं है. मैंने चुपके से कुछ फोटों खींच लीं. आप भी देखिये.
अक्सर लोग आरएसएस के बारे मैं यह कहते हैं कि वह मुस्लिम विरोधी है. यहाँ तो मुझे ऐसा कुछ नजर नहीं आया. उन मुस्लिम सज्जन के हाव-भाव से भी ऐसा नहीं लग रहा था कि वह आरएसएस के झंडे के पास प्राणायाम करते हुए कुछ परेशान हैं. दोनोअपना काम करते रहे. पहले मुस्लिम सज्जन ने प्राणायाम पूरा किया, अपनी चादर समेटी और चले गए. उसके बाद आरएसएस की विधि-पूर्वक शाखा पूरी हुई और वह लोग भी चले गए.
Tuesday, July 08, 2008
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