दैनिक प्रार्थना

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Wednesday, December 10, 2008

भगवान की प्राप्ति कैसे हो?

अक्सर लोग ऐसा कहते हैं कि भगवान की दया तो सभी पर समान भावः से है, फ़िर सबको भगवान की प्राप्ति क्यों नहीं होती? 

इस में कोई संशय नहीं कि भगवान की पूर्ण दया सभी पर समान भाव से है. किंतु जैसे कोई दरिद्र व्यक्ति अपने घर में गढ़े हुए धन को न जानने के कारण तथा पास में पड़े हुए पारस को न जानने के कारण लाभ नहीं उठा सकता, बैसे ही अज्ञानी लोग भगवान को और भगवान की दया के रहस्य को न जानने से भगवान प्राप्ति का लाभ नहीं उठा सकते. भगवान की दया के रहस्य को समझने से शोक और भय का अत्यन्त अभाव हो जाता है, सदा के लिए परम शान्ति एवं परमानन्द की प्राप्ति हो जाती है. भीष्म, युधिष्ठिर, अर्जुन आदि भगवान की दया के रहस्य को जानते थे, इसलिए वह कृतकृत्य हो गए, किन्त अज्ञान के कारण दुर्योधन आदि न हो सके. 

भगवान और भगवान की दया के रहस्य को जानने का सबसे सरल उपाय है - भगवान् की अनन्य शरण हो जाना:
१. भगवान के किए प्रत्येक विधान में प्रसन्नचित्त रहना, 
२. निष्काम प्रेम-भाव से नित्य-निरंतर उस के स्वरुप का चिंतन करते हुए उसके नाम का जप करना एवं उसकी आज्ञा का पालन करना,
३. जो व्यक्ति भगवान के प्रभाव एवं तत्व को जानने वाले हैं तथा जो भगवान् की अनन्य शरण हो चुके हैं, ऐसे प्रेमी भक्तों का संग करके, उनके बतलाये हुए मार्ग के अनुसार चलना.

गीता में भगवान ने स्वयं अर्जुन से कहा है - "हे अर्जुन, जो मनुष्य केवल मेरे लिए, सब कुछ मेरा समझता हुआ, यज्ञ, दान और तप आदि सम्पूर्ण कर्तव्य कर्मों को करने वाला है और मेरे परायण है, अर्थात मेरे को परम आश्रय और परमगति मान कर, मेरी प्राप्ति के लिए तत्पर है तथा मेरा भक्त है अर्थात मेरे नाम, गुण, प्रभाव और रहस्य के श्रवण, कीर्तन, मनन, ध्यान और पठन-पाठन का प्रेम सहित, निष्काम भावः से निरंतर अभ्यास करने वाला है और आसक्ति रहित है अर्थात स्त्री, पुरूष और धन आदि सम्पूर्ण सांसारिक पदार्थों में स्नेह रहित है और सम्पूर्ण भूत प्राणियों में  वैरभाव से रहित है, ऐसा वह अनन्य भक्ति वाला मनुष्य मेरे को ही प्राप्त होता है." 

1 comment:

Anonymous said...

बात तो आपने बिल्कुल सही कही है, पर लोग तो पैसा कमाने में इस तरह उलझ गए हैं कि भगवान् का ध्यान तभी आता है जब तकलीफ होती है. पैसा भगवान् से बड़ा हो गया है. कुछ लोग तो भगवान् को भी पैसा कमाने के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं.