तुम्हारा जन्म दिन फ़िर आ रहा है,
इस बार तो अवतरित हो जाओ कन्हैया,
या इस बार भी दिखावों के आयोजनों में ही बीत जायेगा तुम्हारा जन्म दिन?
'जब भी धर्म की हानि होगी मैं आऊंगा', यही कहा था तुमने पिछली बार,
समय आ गया है अपना वादा निभाओ कन्हैया.
अधर्म राज कर रहा है धर्म पर,
धर्म के नाम पर हिंसा हो रही है,
आतंक फैलाने वाले दनदनाते घूम रहे हैं,
राज्य जनता की रक्षा नहीं कर पा रहा,
सत्ता के लालच ने सत्य को निगल लिया है,
कौवे मोती खा रहे हैं, हंस दाना-दुमका चुग रहे हैं,
पाप की काली छाया ने पूरी पृथ्वी को ढक लिया है,
रिश्वत के बिना कोई काम नहीं होता,
ईमानदारी हर कदम पर बेइज्जत हो रही है,
मानवीय संबंधों का बलात्कार हो रहा है,
बेटी बाप के साथ सुरक्षित नहीं है,
भ्रूण हत्या आम हो रही है,
क्या यह सब काफ़ी नहीं है अवतरित होने के लिए?
अब तो अवतरित हो जाओ कन्हैया.
एक बात का ध्यान रखना कन्हैया,
इस बार काम इतना आसन नहीं होगा,
हजारों कंस हैं इस बार तुम्हारे मुकाबले में,
सैकड़ों धृतराष्ट्र बैठे हैं न्याय की गद्दी पर,
लाखों दुर्योधन और शकुनी घात लगा रहे हैं,
इस बार किसी आम आदमी के घर पैदा होना,
यह आम आदमी ही बनेगा तुम्हारी सेना,
सत्ता के पाखंडियों से बच कर रहना,
वरना विदुर की रसोई ठंडी हो जायेगी,
घसीट ले जायेंगे यह तुम्हें दुर्योधन के महल में,
मीडिया नाम का एक नया हथियार है इन के पास,
जो झूट को सच बना देता है और सच को झूट,
न्याय वही देखता, सुनता और कहता है जो यह चाहते हैं,
कहीं ऐसा न हो कि यह तुम्हें ही आतंकवादी साबित कर दें,
यह कलयुग है कन्हैया और तुम्हारा पहला अवतार है कलयुग में,
जरा ध्यान से अवतरित होना कन्हैया.
4 comments:
आपकी पुकार में दम है। मैं भी यही कहूंगा कि अब तो अवतरित हो जाओ....
हम भी आप की प्रथाना मे शामिल हे, आप ने बहुत अच्छी रचना रची हे,(शायद आज कल की कुछ गोपिया जुलियट बन गई हे,ओर शायद हमारे ग्वाल बाल उन की अंग्रेजी ना समझ पाये, इसी लिये झिझक रहे हो ):) धन्यवाद
बहुत ही सुंदर .
प्रस्तुति के लिए आभार.
मीडिया नाम का एक नया हथियार है इन के पास,
जो झूट को सच बना देता है और सच को झूट,
न्याय वही देखता, सुनता और कहता है जो यह चाहते हैं,
कहीं ऐसा न हो कि यह तुम्हें ही आतंकवादी साबित कर दें,
यह कलयुग है कन्हैया और तुम्हारा पहला अवतार है कलयुग में,
जरा ध्यान से अवतरित होना कन्हैया.
बहुत सुन्दर लिखा है। वाह
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