दैनिक प्रार्थना

हमारे मन में सबके प्रति प्रेम, सहानुभूति, मित्रता और शांतिपूर्वक साथ रहने का भाव हो.

Tuesday, June 10, 2008

अनंत की महिमा

वह अनंत है,
यह अनंत है,
अनंत अनंत से आता है,
अनंत से अनंत निकालो तब भी अनंत ही बचता है,
ॐ शांति, शांति, शांति.


That is perfect;
This is perfect;
Perfect comes from perfect;
Take perfect from perfect, the remainder is perfect.
Peace. Peace. Peace.

— Brihadaaranyaka Upanishad

Friday, June 06, 2008

ज्ञान के दीप जले

स्वामी रामसुखदास जी की यह पुस्तक गीता प्रेस गोरखपुर से प्रकाशित हुई है. आपके जीवन में प्रकाश हो उस लिए कुछ दीप प्रज्ज्वलित करता हूँ इस पुस्तक से.

"जो अपना नहीं है, उस को अपना मानने से विश्वासघात होगा, धोखा होगा"

"दूसरे के दुःख से दुखी होने पर हमारा दुःख मिट जाता है. दूसरे के सुख से सुखी होने पर हम सुखी हो जाते हैं. काम ख़ुद करो, आराम दूसरों को दो"

"उसका अनुभव करें या न करें, वह तो बैसा ही है; पर अनुभव करने से हम हलचल (आवागमन) से रहित हो जाते हैं. उस का अनुभव करने में ही मनुष्य-जीवन की सफलता है"

"स्त्री परपुरुष का और पुरूष परस्त्री का सपर्ष न करे तो उनके तेज, शक्ति की वृद्धि होगी"

"जैसे आप अपना दुःख दूर करने के लिए पैसे खर्च करते हैं, ऐसे ही दूसरे का दुःख दूर करने के लिए भी खर्च करें, तभी आपको पैसे रखने का हक़ है"

"अपने को ऊंचा बनाने का भाव राक्षसी, आसुरी भाव है. दूसरों को ऊंचा बनाने का भाव दैवी भाव हे"

"सच्ची बात को स्वीकार करना मनुष्य का धर्म है"

"पहले भलाई करने से भलाई होती थी, आज बुराई न करने पर भलाई हो जाती है"

"कोई बस्तु न मिले तो उस की इच्छा का त्याग कर दें, और मिल जाए तो उसे दूसरों की सेवा में लगा दें"

"आप छोटों पर दया नहीं करते तो आपको बड़ों से दया माँगने का कोई अधिकार नहीं है"

"जो सेवा करते नहीं प्रत्युत सेवा लेते हैं, उन के लिए ज़माना ख़राब आया है. सेवा करने वाले के लिए तो बहुत बढ़िया ज़माना आया है"

"यदि आप अपना कल्याण चाहते हैं तो सच्चे ह्रदय से भगवान् के शरण हो जाएं"

:भगवान् की कृपा मैं कभी कमी नहीं होती, कमी कृपा न मानने मैं होती है"

"यदि मनुष्य अपने कर्तव्य का पालन करे और पदार्थों की कामना न करे तो उस का कल्याण हो जायेगा"

"मेरे को सुख कैसे हो यह पतन की बात है, और दूसरे को सुख कैसे हो यह उत्थान की बात है. सब अपना ही सुख चाहेंगे तो एक को भी सुख नहीं मिलेगा, आपस में लड़ाई हो जायेगी"

"ज्यादा बस्तुएँ होने से ज्यादा सुख होगा, यह बहम की बात है. उल्टे दुःख ज्यादा होगा"

"देने वाले सभी सज्जन होते हैं, लेने वाले सभी सज्जन नहीं होते"

Sunday, June 01, 2008

धर्म के पीछे डंडा लेकर पड़े रहते हैं कुछ लोग

कुछ लोगों के विचार में समाज में हर ग़लत बात के लिए धर्म जिम्मेदार है. कोई भी घटना घटे वह धर्म को बीच में घसीट लाते हैं और धर्म को और जो धर्म को मानते हैं, उन्हें गालियाँ देना शुरू कर देते हैं. मुझे लगता है कि ऐसे लोग जब तक एक दो बार धर्म को गाली न दे लें उनका दिन ठीक से नहीं गुजरता. ऐसे लोग दया के पात्र हैं. वह कुछ अच्छा करना चाहते हैं पर धर्म के चक्कर में कर नहीं पाते. वह कहते हैं हम धर्म को नहीं मानते, पर हर समय धर्म की रट लगाए रहते हैं - धर्म ने सारे समाज को दूषित कर दिया है, समाज में जितना अन्याय हो रहा है उसके लिए धर्म ही जिम्मेदार है, समाज में जितनी कुरीतियाँ हैं वह सब धर्म की देन हैं, इत्यादि. इतना बड़ा अपराधी है धर्म, पर उसे दंड कैसे दें? धर्म कोई व्यक्ति तो है नहीं जिसे अदालत में हाजिर करके सजा दिलाएं और फांसी पर लटका दें. धर्म तो एक सोच है. एक तरीका हो सकता है कि ऐसा कानून बनाया जाए कि धर्म का सोच रखने वाले व्यक्तिओं को फांसी पर लटका दिया जाए. पर यह कानून सिर्फ़ हिन्दुओं के लिए ही बन सकता है. किसी और धर्म के बारे में ऐसा सोचने वाले ख़ुद ही फांसी पर लटका दिए जायेंगे.

आपने बहुत कम देखा होगा किसी को चिल्लाते हुए कि मैं धर्म में विश्वास करता हूँ. लोग मन्दिर में जाते हैं. तीर्थ स्थानों की यात्रा करते हैं. प्रवचन सुनते हैं. कीर्तन करते हैं. पर कोई यह नहीं कहता फिरता की वह धर्म में विश्वास करता हैं. पर धर्म में विश्वास न करने वालों को जब तक चैन नहीं मिलता जब तक वह यह बात सब को बता न दें, और यह साबित करने की कोशिश न कर लें कि धर्म ग़लत है और समाज की सारी समस्याओं के लिए जिम्मेदार है. यह कैसी मानसिकता है? अरे भाई आप धर्म में विश्वास नहीं करते, ठीक है मत करिये. कौन आप से जबरदस्ती कर रहा है? आप की मर्जी है, धर्म को मानो या न मानो. आप मानते हैं तो किसी को फायदा नहीं. आप नहीं मानते तो किसी को नुकसान नहीं. धर्म को मानना या न मानना एक व्यक्तिगत बात है.

आज हिंदू धर्म की किसी मान्यता का हवाला दे कर कोई भी किसी दूसरे को मजबूर नहीं कर सकता (इस्लाम और दूसरे धर्मों की बात में नहीं करता). बल्कि हिंदू धर्म की किसी भी मान्यता का लोग खुलेआम मजाक उड़ा सकते हैं. किसी भी हिंदू देवी-देवता की नंगी तस्वीर बना सकते हैं. अगर कोई शिकायत करता है तो मीडिया और कानून गाली देने वालों का ही समर्थन करता है. इस के बाद भी लोगों का मन नहीं भरता. जब मौका लगता है हिंदू धर्म को गाली देने से बाज नहीं आते.

मुझे ऐसे लोगों पर दया आती है. अरे भाई अपनी जुबान गन्दी कर के आप हिंदू धर्म का क्या नुकसान कर लेंगे. यह तो ऐसा धर्म हे कि एक हिंदू अगर हिंदू धर्म को गाली भी देगा तब भी हिंदू ही रहेगा. इस धर्म में तो आस्तिक भी हिंदू है और नास्तिक भी. आप क्या खाते हैं, क्या पहनते हैं, कैसे रहते हैं, आपकी मर्जी है. आप को हिंदू होने का सर्टिफिकेट नहीं लेना किसी से. कोई आप को हिंदू धर्म से निकाल नहीं सकता. हिंदू धर्म को गाली देने से बेहतर होगा उसे समझना. धर्म के पीछे डंडा लेकर मत दौड़िये. उस से धर्म का कुछ नहीं बिगड़ना. दौड़ते-दौड़ते गिर पड़े तो ख़ुद ही चोट खा जाओगे.